Aalhadini

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Murder or trap 5

   "मिस्टर रणवीर एक लास्ट क्वेश्चन..! कल संडे है.. क्या कल भी सारे स्टाफ का ऑफ होगा..? और आज रात भी कोई पार्टी है क्या??" रुद्र ने पूछा।


"नो ऑफिसर..! आज कोई गैदरिंग नहीं है.. लेकिन कल का ऑफ होगा.. उसमें कोई भी इफ एंड बट नहीं है।" रनवीर ने जवाब दिया।

"कल किसी का कोई स्पेशल प्लान..?? मेरा मतलब है कि कल हम यहां इन्वेस्टिगेशन के लिए आ सकते हैं ना?? कल यहां कोई होगा नहीं तो हमारे कारण किसी को कोई तकलीफ नहीं होगी।" रुद्र ने अपने चिरपरिचित अंदाज में कहा।

"वेट..!! मैं अभी आपको क्लियर कर देता हूँ।" रनवीर ने उठते हुए कहा और वो किसी को कॉल मिलाता हुआ हॉल के दूसरे कोने मे चला गया। कुछ ही सेकंडों में उसने मोबाइल फोन को कान पर लगाकर कुछ बातें की और फिर वापस उसी सोफ़े पर आकर बैठ गया।

"आप कल सुबह 12 बजे के बाद कभी भी आ सकते हैं.. सभी कल लंच के लिए बाहर जाने वाले हैं.. तो आपको कोई प्रॉब्लम नहीं होगी। घर पर केवल 2 सर्वेंट होंगे.. आपकी हेल्प के लिए।" रनवीर ने कहा।

"उनका ऑफ नहीं होगा कल..??" मृदुल ने सवाल किया।

"नहीं..! वैसे तो ऑफ ही होता है.. आप लोगों को कल किसी भी तरह की कोई तकलीफ ना हो इसलिए उन्हें किसी और दिन का ऑफ दे दिया जाएगा।" रनवीर ने कहा।

"बाकी सभी फॅमिली मेंबर्स से भी पूछताछ करनी थी.. उनसे भी टाइम लेकर बता दीजियेगा। फिलहाल हमें इजाज़त दीजिए।" ऐसा कहकर रुद्र उठ खड़ा हुआ और साथ ही में मृदुल और चिराग भी।

इतनी बात होने के बाद वो तीनों दीप के घर से निकल गये।

रास्ते में मृदुल ने कन्फ्यूजन में पूछा, "यार… ये क्या फालतू के सवाल ज़वाब कर के आ रहा हैं..? ऑफ कब होता है?? हाॅलिडे कब होगा..?? बोनस कितना है?? तुझे नहीं लगता कि तेरा दिमाग सस्पेंशन की वजह से थोड़ा सा हिल गया है। तुझे इस केस की नहीं एक अच्छे साइकिएट्रिस्ट की जरूरत है।"
 
रुद्र मृदुल को घूर रहा था और चिराग मुँह बंद किए मुस्करा रहा था।

"मेरे सवाल फिजूल नहीं थे.. ये भी तुम्हें जल्दी ही समझ में आ जाएगा।" रुद्र ने मृदुल की बात का ज़वाब दिया।

"वैसे लेट हो गया है.. चौकी तो अब जाना नहीं है.. क्यूँ ना कहीं डिनर के लिए चलते हैं??" रुद्र ने पूछा।

"ओके..! चलो..!" मृदुल और चिराग दोनों ही चलने को राजी हो गए थे। 

उन तीनों ने एक रेस्तरां में जाकर डिनर किया और सुबह 11 बजे पुलिस स्टेशन मिलने की बोलकर अपने अपने घर के लिए निकल गए।

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रूद्र ने आकर अपने फ्लैट का दरवाजा अपनी जेब में रखी चाभी से खोला और अंदर चला गया।  पूरा फ्लैट अंधेरे में डूबा हुआ था.. अंदर जाते ही लेफ्ट हैंड साइड रखी टेबल पर रुद्र ने अपने घर की चाबी रखी और उसी के साइड में जूते उतार कर अंदर चला गया। 
 
अंदर जाने पर लेफ्ट साइड की दीवार पर लगे स्विच बोर्ड से स्विच ऑन किया। स्विच ऑन करते ही घर रोशनी में नहा गया। एक नॉर्मल साफ सुथरा कमरा था.. जिसके एक साइड में वार्डरोब बनी थी.. उसके पास ही एक ड्रेसिंग टेबल रखी थी और सेंटर में एक डबल बेड रखा हुआ था। बेड के ऊपर चादर ठीक से बिछी हुई थी.. पिलो और कुशन्स बेड पर करीने से जमे हुए थे। बेड के सामने एक फ्लैट टीवी लगा हुआ था। कमरे में हर चीज़ अपनी ठीक जगह पर रखी हुई थी।

राइट हैंड साइड वाली दीवार बिल्कुल खाली थी.. उसके पास एक टेबल रखी थी जिसके नीचे बहुत से कैबिनेट्स बने हुए थे.. इस टेबल पर कुछ भी नहीं रखा हुआ था.. ये टेबल रुद्र के केस के सभी क्लू को सिस्टमैटिक अरेंज करने के काम आती थी। टेबल के साइड में नीचे एक कार्डबोर्ड रखा था.. वो भी उसके ऑफिशियल यूज में ही आता था।

रुद्र ने अंदर जाकर कपड़े उतारे और बाथरूम में नहाने चला गया। शावर के नीचे खड़े होकर भी उसके दिमाग में अनीता का ही केस चल रहा था। वो हर एक छोटी से छोटी चीज़ को भी एनालाइज़ कर रहा था। उसने अपने दिमाग में रूपरेखा खींचना शुरू कर दिया था कि केस को कैसे सॉल्व करना था और उसके लिए इन्वेस्टिगेशन को कैसे लीड करना होगा और इन्वेस्टिगेशन कहाँ से शुरू कर के किस दिशा मे ले जाना होगा।

इसी उधेड़ बुन में रुद्र नहाकर आ गया और आकर बेड पर लेट गया। अभी भी रुद्र के दिमाग में केस की ही उठा पटक चल रही थी। इसी उठा पटक में कब रुद्र को नींद आ गई पता ही नहीं चला।

सुबह जल्दी ही रुद्र की आंख खुल गई थी.. इसी बात का फायदा उठाते हुए रुद्र फटाफट से नहा धो कर तैयार होकर.. अपना फ्लैट लॉक करके निकल गया। पार्किंग से अपनी गाड़ी उठाकर दीप के घर की तरफ निकल गया।

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आज रुद्र फिर से दीप की सोसाइटी के बाहर खड़ा था। सोसाइटी के मेन रोड के ऑपोजिट साइड में एक चाय की टपरी और पान की थड़ी रखी थी। रुद्र ने गाड़ी साइड लगाई और चाय की टपरी पर जाकर बैठ गया। 

वो छोटी सी चाय की दुकान थी.. बाहर कुछ आठ दस मुड्डे( बेंत का बना हुआ स्टूल ) रखे थे। तीन चार चौकीदार की यूनीफॉर्म पहने अधेड़ उम्र के लोग चाय पीते हुए हंसी मजाक में लगे हुए थे। रुद्र भी उन्हीं के पास जाकर एक मुड्डे पर जाकर बैठ गया। टपरी पर एक छोटा लड़का चाय बना रहा था।

"एक चाय देना छोटू बेटा..!" रुद्र ने आवाज़ लगाई।

"जी भैया.. अभी लाया।" छोटे बच्चे ने कहा।

छोटू ने चाय लाकर रुद्र को दी और पूछा, "और कुछ लाऊं भैया..??"
"नहीं बेटा..!! तुम यहाँ काम करते हो तो स्कूल कब जाते हो..?" रुद्र ने पूछा।

"भैया स्कूल नहीं जाते हैं..!" छोटू ने ज़वाब दिया।

"फिर पढ़ोगे लिखोगे नहीं तो कैसे चलेगा??" रुद्र ने पूछा।

"ऐसा नहीं है भैया कि हम पढ़ते लिखते नहीं हैं.. अंदर एक दीदी रहती थी.. वह रोज सुबह जल्दी आकर हमें पढ़ाती थी इसलिए हम पढ़ना लिखना जानते हैं। उन्होंने ही कहा था कि हम काम करते हुए अपनी पढ़ाई कर सकते हैं। उन्होंने ही बताया था कि सिर्फ परीक्षा देने जा कर भी पढ़ाई कर सकते हैं। उन्होंने ही हमारा एडमिशन भी करवाया था।" छोटू ने बताया।

 "अच्छा..!ऐसी कौन सी दीदी है.. हमें भी मिलवाओ।" रूद्र ने पूछा।

"अनीता..! अनीता दीदी नाम है उनका.. पर पता नहीं थोड़े दिन से आ नहीं रही।" छोटू ने कहा। 

"अच्छा तुम्हें पता है.. कहां रहती है??" रुद्र ने सवाल किया।

"नहीं भैया..! यह तो हम नहीं जानते पर इतना पता है कि वह बहुत अच्छी थी.. पर पता है भैया कभी-कभी उनके चेहरे पर और शरीर पर अलग-अलग निशान देखने मिलते थे। हमने कई बार पूछा भी था.. पर उन्होंने कभी बताया ही नहीं।" छोटू ने बातों ही बातों में एक नया खुलासा किया।

 रुद्र भी यह निशानों की बात सुनकर थोड़ा परेशान हो गया था। उसने पूछा, "कैसे निशान??"

 "भैया.. वैसे ही जैसे कभी गिर जाते है और नील पड़ जाती है ना..  वैसे..!!"

 रुद्र इस सब से हैरान था।  अब तक उसे जो भी पता चला था.. उसके हिसाब से अनीता एक गुस्सैल और बहुत ही अजीब से स्वभाव वाली लड़की थी। पर छोटू के हिसाब से उसके शरीर पर अलग-अलग चोट के निशान मिलने की बात से तो कहीं भी ऐसा नहीं लगता था कि वह सच में जैसा सब बता रहे थे वैसी ही थी। 

रुद्र ने आगे पूछा, "छोटू..! तुम याद करके बताओ कि जिस दिन तुम्हें आखरी बार वह मिली थी.. तब भी उसके शरीर पर कुछ निशान थे या फिर वह कैसी दिख रही थी??" रुद्र ने फिर से पूछा।

"भैया..! जिस दिन आखिरी बार वह सुबह सुबह आई थी.. उस दिन वह बहुत दुखी लग रहीं थी।  उन्होंने मुझसे बहुत ज्यादा बात भी नहीं की थी।" छोटू ने बताया।

 वह जो चारों चौकीदार वहीं बैठ कर चाय पी रहे थे.. उन्होंने रूद्र को छोटू से बात करते देखा तो पूछा, "क्या बात है.. छोटू?? यह साहब क्या पूछ रहे हैं??"  उनमें से एक चौकीदार ने कहा। 

 "कुछ नहीं काका!! यह बस अनीता दीदी के बारे में पूछ रहे थे..!!" वह चारों चौकीदार अपने मुड्डे लेकर रुद्र के पास आकर बैठ गए और पूछा, "क्या बात है साहब..? आप अनीता बिटिया के बारे में पूछताछ क्यों कर रहे हो??" 

 रुद्र ने उनकी तरफ देखा और पूछा, "आप लोग भी अनीता को जानते हैं.. कैसे??"

 "क्यों नहीं जानेंगे बेटा..?? अनीता बिटिया थी भी तो इतनी अच्छी!!  फिर कौन है ऐसा जो उनसे एक बार मिलने के बाद भूल जाये। कोई भी अनीता बिटिया को नहीं भूल सकता। अनीता बिटिया हमेशा सबकी मदद करने के लिए तैयार रहती थी। हमारी भी बहुत ज्यादा मदद की थी.. जब मेरा बेटा बहुत ज्यादा बीमार पड़ा था.. तो उन्होंने ही मुझे इलाज के लिए पैसे दिए थे।"  एक चौकीदार ने कहा।

 दूसरे ने कहा, "हां भैया..!! जब हमारी नौकरी छूट गई थी तो उन्होंने ही मदद करी थी मेरा घर चलाने में.. जब तक हमें दूसरी नौकरी नहीं मिली थी..पर बेचारी की किस्मत ही खराब थी.. गलत घर में ब्याह हो गया था बेचारी का..!! कहने को तो प्रेम विवाह किया था लेकिन..??" दूसरा चौकीदार इतना कहते कहते रुक गया।

 "लेकिन क्या काका..? क्या हुआ??" रुद्र ने उस चौकीदार के पास खिसक कर आते हुए पूछा।

 "का बताएं बेटा..!! बेचारी की किस्मत ही खराब थी। इतने बड़े आदमी की बीवी होते हुए भी सुख नाम की चीज उसकी किस्मत में ही नहीं थी।" चौकीदार ने दुखी होते हुए कहा।

"काका पहेलियां मत बुझाओ..?? साफ-साफ बताओ.. हुआ क्या था??" रुद्र ने पूछा।

 "बेटा..! वह खुद तो कुछ बताती नहीं थी.. पर हमें उसकी हालत देखकर पता चल ही जाता था। बहुत ही दुखी लगती थी बिचारी..! हमेशा उसके शरीर पर चोट के निशान मिलते थे।" एक चौकीदार ने दुखी होते हुए कहा।

 "तुम्हें पता है इस पूरे इलाके में सभी बहुत बड़े बड़े लोगों के बंगले हैं। इतनी सुविधा किसी के नौकर को नहीं मिलती है जितनी वहां मिलती है। कहने को तो बहुत अच्छी बात है.. पर कोई भी आदमी जो इतना ज्यादा अमीर हो कि अगर पानी भी पीना चाहे तो लाने के लिए पचासों नौकर पानी का ग्लास लेकर दौड़े आए.. वह आदमी हर रोज शाम को अपने पूरे नौकरो को छुट्टी क्यों देगा??  और हमेशा रविवार को सभी नौकरों को छुट्टी भी दी जाती है। हमारे मालिकों का बस चले तो मरने के लिए भी छुट्टी ना दें।"  एक और चौकीदार ने कहा।

 "कहना क्या चाहते हो काका??" रुद्र ने पूछा।

"अरे बेटा तुम खुद सोचो..!! कुछ तो वजह होगी ना.. जो नौकरों को इतनी सुविधाएं दी जाती हैं। हमारे.. या और किसी के भी.. तुम खुद सोचो किसने देखा है.. नौकरों को इतनी सुविधाएं देते?? मुझे तो यह लगता है कि नौकरों की छुट्टी देने के बाद घर में मारपीट होती होगी अनीता बिटिया के साथ..!!!  बिचारी इतनी भली थी कि कभी कहा ही नहीं कुछ भी! बेचारी हमेशा यही कहती थी.. काका सीढ़ियों से गिर गए..!! काका बाथरूम में साबुन पर पैर रखने में आ गया..!!" एक और चौकीदार ने अपनी बात रखी।

 रुद्र ने जब सबकी बातें सुनी तो उसे केस एक अलग ही दिशा में जाता हुआ दिखाई दिया। रूद्र ने सोचा नहीं था यह केस डोमेस्टिक वायलेंस की तरफ भी जा सकता था।

 यह सुनकर रुद्र ने उनसे कहा, "काका अनीता के पति दीप ने उसके गायब होने की रिपोर्ट लिखवाई थी। फिर बाद में उसने वह कंप्लेंट वापस भी ले ली। दीप यह बोल रहा है कि अनीता अपने किसी प्रेमी के साथ पैसे और जेवर लेकर भाग गई।"

 रूद्र के इतना बोलते ही वो चारों लोग रूद्र पर चिल्लाने लगे।

 "ऐसे कैसे बोल सकता है वो..??" उन चारों चौकीदारों ने एक स्वर में कहा।

 "बेटा.. अनीता जैसी लड़की तो किस्मत वालों को मिलती है।  झूठ बोल रहा है अनीता बिटिया किसी के साथ भी भागने की तो दूर की बात है.. भागने की सपने में भी सोच नहीं सकती।"  फिर एक ने थोड़ा शांत होते हुए कहा।

 "इसका मतलब है कि दीप झूठ बोल रहा है..??" रुद्र ने पूछा।

 "हां बेटा..! बिल्कुल झूठ बोल रहा है!  सरासर झूठ..!  तुम तो इन पैसे वाले लोगों को जानते ही हो.. गरीब आदमी बस इन्हें कीड़े मकोड़े ही नजर आते है।  अनीता बिटिया भी तो एक गरीब घर की बेटी थी।"  एक चौकीदार ने कहा।

 रुद्र ने कहा, "काका आप लोग मेरे लिए एक काम करेंगे??"

 "हां बेटा बोलो..!!" उन्होंने कहा।
 
"काका यह मेरा कार्ड है.. आप यह ले लो और अगर आपको अनीता के बारे में कुछ भी पता चलता है या कुछ भी याद आता है तो आप मुझे खबर कर देंगे??" रुद्र ने अपना कार्ड देते हुए कहा।

 "हां..! हां बेटा..!! बिल्कुल!!" एक ने कहा।
 दूसरे चौकीदार ने कार्ड देखा तो वह चौक गया।  

"तुम पुलिस वाले हो..??" उसने जोर से कहा।

 "हां काका..! मुझे भी लगा कि कोई भी औरत इतना अच्छा घर परिवार छोड़कर क्यों भागेगी? तो बस.. मेरा मन नहीं माना.. इसीलिए मैंने सोचा कि दीप के मना करने के बाद भी एक बार खुद से अनीता को ढूंढने की कोशिश करूं।" रूद्र ने कहा।

 "हां बेटा..! अनीता बिटिया को ढूंढ दोगे.. तो हम सभी तुम्हें बहुत दुआएं देंगे।  पता नहीं उस दुष्ट ने बेचारी के साथ क्या किया हो??" एक चौकीदार ने कहा।

 रूद्र ने उनसे विदा ली और सोसाइटी के सिक्योरिटी गार्ड के पास चला गया।

 रूद्र ने उस गार्ड  से पूछा, "भाई कब से नौकरी कर रहे हो..यहाँ??"

 चौकीदार ने पूछा,  "क्यों साहब.. क्या हो गया??"
 
"कुछ नहीं.. मैं तो सिर्फ जानना चाहता था। एक बात बताओ.. यह जो दीप साहब है.. होटल वाले जानते हो ना उन्हें??" रुद्र ने पूछा।

 "हां सरकार..! बहुत अच्छे से जानता हूं.. वो अनिता बिटिया के पति है ना!!"

 रुद्र ने चौक कर पूछा,  "आप भी जानते हैं अनीता को..??"

 "हां साहब.. ऐसा कौन है यहाँ.   जो अनीता बिटिया को नहीं जानता.. पूरी कॉलोनी के चौकीदारों और नौकरों की मसीहा है। हमेशा किसी ना किसी की मदद करती रहती थी। बहुत ही प्यारी बच्ची है। हम से भी आते जाते हालचाल पूछती रहती थी... पूछती रहती थी.. "काका कोई तकलीफ तो नहीं.. अगर हो तो बता दीजिएगा।"

 यही सामने से तो रोज सुबह सुबह मंदिर जाती थी। बस आजकल कुछ दिनों से दिखाई नहीं दे रही।" गार्ड के मुँह पर अनीता का नाम लेते समय बहुत ज्यादा वात्सल्य और कृतज्ञता के भाव थे।

 "रोज मंदिर जाती थी?? आप जानते हैं कहां जाती थी?? और कब जाती थी??" रुद्र ने सवाल किया।

 "हां साहब..! सुबह सुबह 7:00 बजे यही बाहर से थोड़ी आगे जो माताजी का मंदिर है.. वही जाती थी। वही 1 घंटे रुकती थी और फिर वापस आ जाती थी। पर पता नहीं उसे कभी-कभी क्या हो जाता था??  कभी तो बहुत अच्छे से बातचीत करती थी और कभी अपनी साड़ी के पल्लू से मुंह छुपा कर निकल जाती थी।  हमने कई बार पूछना चाहा पर हिम्मत ही नहीं हुई??" गार्ड के चेहरे पर कुछ दर्द की रेखाएं खींच गई थी ये सब बताते हुए।

"ऐसा क्यों होता था?? कुछ तो वजह रही होगी इसकी..??" रुद्र ने पूछा।

 "पता नहीं साहब..! कभी-कभी तो बहुत ज्यादा लंगड़ाते हुए जाती थी.. हमें विचारी की हालत देखकर बहुत दुख होता था।" उस गार्ड ने जवाब दिया।

 "इतना पैसे वाला होने के बाद भी वह पैदल ही मंदिर जाती थी??" रुद्र लगातार सवाल किए जा रहा था।

 "का बताएं साहब..! बस जब पहली बार ब्याह करके आई थी.. तब गाड़ी में बैठे देखा था या फिर कभी-कभी वह आश्रम जाती थी तभी गाड़ी में बैठे देखा था।  उसके अलावा तो बेचारी हर जगह पैदल ही आती जाती थी।"  चौकीदार ने एक और नई बात बताई।

 यह सुनकर रुद्र सोच में पड़ गया था उसने पूछा, "आश्रम..! कौन सा आश्रम..??"
 


क्रमशः...

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15 Comments

Simran Bhagat

09-May-2022 07:57 PM

👌

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Neelam josi

09-May-2022 06:51 PM

Nice

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Aalhadini

11-May-2022 12:12 AM

🙏🙏

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Reyaan

09-May-2022 05:32 PM

Very nice 👍🏼

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Aalhadini

11-May-2022 12:12 AM

🙏🙏🙏

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